मूल समस्या समझना आवश्यक
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- Published in गुरु मंत्र (गौरव बिस्सा)
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चार नेत्रहीन व्यक्तियों को को एक हाथी के समक्ष छोड़ दिया गया। एक ने हाथी के कान पर स्पर्श कर कहा कि यह तो बहुत बड़ी टोकरी है। दूसरे ने पंूछ पकड़ी और खा कि यह एक रस्सी है। तीसरे ने पैर पकड़ा और उसे खम्भा बताया। चौथे ने पेट पर हाथ लगाकर कहा कि यह तो बहुत बड़ा टैंक है। अब चारों आपस में अपने अपने मत को लेकर भिड पड़े। तब वहां एक समझदार व्यक्तिने उन चारों को समझाया कि वे सब अपनी अपनी जगह सही हैं लेकिन वास्तव में यह एक हाथी है।
* हमारी समस्या यह है कि हम स्वयं जो सोचते हैं उसी को अटल सत्य मान बैठते हैं। इस कथा से हमें मैनेजमेंट के कुछ सिद्धांत सीखने को मिलते हैं:
* मैनेजमेंट का अर्थ है समस्या के मूल में पहुँचने की शक्ति। सिर्फ आप जो सोचते हैं वही ज्ञान नहीं है। उसके अलावा भी बहुत कुछ है जो जानना जरूरी है।
* निर्णय लेने का पहला आधार स्तम्भ है मूल समस्या को समझना। जरूरी नहीं जो आप सोचते समझते हों वही शाश्वत सत्य हो।
* अधूरी जानकारी, अपूर्ण शोध और समस्या का गलत मूल्यांकन आपके अंतिम निर्णय की गुणवत्ता को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करेगा।
* मैनेजमेंट के क्षेत्र में वर्तमान समय की सबसे बड़ी समस्या है, लक्षणों का इलाज करना और मूल समस्या को भूल जाना। जरा सोचिये कि संगठन में कर्मचारियों की अनुपस्थिति बढ़ रही है। अनुपस्थिति बढना संकेत है मूल समस्या नहीं है। मूल समस्या घटिया लीडरशिप, मोटिवेशन न होना या कार्य संस्कृति का अभाव हो सकता है। अत: मूल सामस्या समझना आवश्यक है।
श्रेष्ठ निर्णय सिर्फ तभी लिये जा सकते हैं जब आप वास्तविक समस्या का सम्पूर्ण अध्ययन करें और "रूट कॉज एनेलिसिस" की प्रक्रिया से गुजरें। इसके लिये बुखार आने का उदाहरण मुफीद है। जरा सोचिये कि आप बुखार से पीडि़त हैं। यदि ऐसे में आपको बर्फ के ठन्डे जल में बैठा दिया जाये तो क्या आप इसे इलाज कहेंगे? यहां बुखार यानि शरीर का गर्म होना संकेत या लक्षण या सिम्पटम मात्र है। आप शरीर के अन्दर विद्यमान कीटाणुओं को मारने की दवा लेंगे (वास्तविक इलाज या समस्या का सही समाधान ) या बर्फ के जल में बैठेंगे (लक्षणों को ही समस्या समझना)? यहां मन्त्र यह है कि लक्षणों को ही मूल समस्या समझ लेना या जो हम सोचते हैं उसी को सत्य मान लेना मैनेजमेंट में महापाप है।

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