'ईश्वर सदा साथ'
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- Published in गुरु मंत्र (गौरव बिस्सा)
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एक केकड़ा समुद्र के किनारे-किनारे चल रहा था। उसके चलने के कारण रेत पर उसके पैरों के सुन्दर निशान बनते जा रहे थे। उन कलात्मक निशानों को देखकर वो फूला नहीं समा रहा था। तभी अचानक सागर की एक लहर आई और उसने केकड़े के पैरों से बने सभी सुंदर निशानों को मिटा दिया। केकड़ा लहर को भला-बुरा कहने लगा और इस बात पर आपत्ति जताने लगा कि लहर ने निशानों को क्यों मिटाया? केकड़े ने लहर को अपना शत्रु करार देते हुए कहा कि लहर उसके द्वारा बनाये गये कलात्मक पद चिन्हों से जलती है अत: उसने निशान मिटा दिये। लहर ने शांत चित्त से उत्तर देते हुए कहा कि एक मछुआरा केकड़े के पद चिन्हों का लगातार पीछा कर रहा था। यदि लहर इन निशानों को न मिटाती तो शायद केकड़ा अब तक मछुआरे द्वारा पकड़ा जा चुका होता और अपनी जान गंवा चुका होता। केकड़े को पश्चाताप हुआ।
* यह सांकेतिक कथा जीवन में भी लागू होती है। यह शाश्वत सत्य है। ईश्वर कभी भी हमें अकेला नहीं छोड़ता। वो किसी न किसी रूप में हमारी रक्षा करता है। यहां ईश्वर ने लहर बनकर केकड़े के जीवन की रक्षा की। इसी को मारवाड़ में 'भगवान आडो आवेÓ कहा जाता है।
* रिश्तों में पूर्वाग्रह रखना कष्टप्रद हो सकता है। कई बार आप सोचते कुछ हो लेकिन होता कुछ और है। आप किसी के लिये पहले से ही धारणाएं बना लेते हैं। किसी के मन की सच्चाई जाने बिना, उस व्यक्ति का प्रयोजन जाने बिना उसके बारे में पहले से राय न बनायें। कई बार हम जाति, लिंग, आयु, समाज आदि के आधार पर पूर्वाग्रह पाल लेते हैं। यही तो समस्या है। इससे बचिये। बिना शोध के कुछ भी स्वीकार न करें। केकड़े का पूर्वाग्रह भी कुछ इसी प्रकार का था।
* माता-पिता कई बार हमसे हमारे भले के लिये कुछ कहते हैं। कई बार स्वर में तल्खी भी होती है। इसका अर्थ यह नहीं है कि उन्हें हमसे प्रेम नहीं है। इसका अर्थ है कि उन्हें हमारी बहुत ज्यादा परवाह है। क्या आपने कभी भी अपने माता-पिता को रेल में, बस में या सार्वजनिक स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को टोकते हुए देखा है? शायद नहीं। यही तो आपके प्रति परवाह कहलाती है। परवाह करने वाले मित्र-बन्धु मिलते ही कहां हैं? इनकी कद्र कीजिये। इन्हें अपना शत्रु या आजादी में बाधक मानने की भूल न करें।
यहां मन्त्र यही है कि रिश्तों से पूर्वाग्रह निकालिये और ईश्वर पर विश्वास रखिये। जीवन सुखमय रहेगा। यही सत्य है।

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